कुरसेला/सिटिहलचल न्यूज़
कटिहार: कुर्सेला प्रखंड के कई ऐसे गांव है जहां आज भी यातायात का साधन नहीं है। लोग आज भी मुख्यधारा से अलग जीवन यापन करने को मजबूर है। कुर्सेला के तटीय क्षेत्र में समांतर में गंगा के कटाव के कारण एक तिहाई भूभाग दियारा में तब्दील हो गए जिस कारण कुर्सेला के विस्थापित लोग हजारों की संख्या में गोबराही दियारा के घाट टोला, दुर्गा स्थान टोला, धनेश्वर टोला और कैंप टोला में जाकर बस गए। हर साल दक्षिणिमुरादपुर व पूर्वी मुरादपुर पंचायत के बिन्द टोली, तीनघड़िया, मलनिया, नवटोलिया, खेरिया, पत्थर टोला, सलमारी कमलाकान्ही जैसे गांव का कुछ ना कुछ भूभाग गंगा में कटते रहते है। इनके जमीन कट जाने के बाद कई लोग गंगा के उस पार गोबराही दियारा में जाकर बस गए। 2000 के आबादी वाले गोबराही दियारा के लोगों का यातायात का मुख्य साधन नाव है
वहां के लोगों को छोटे-मोटे सामान के लिए भी कुर्सेला बाजार पर आश्रित रहना पड़ता हैl वही लोग घरेलू सौदा के लिए भी लंबी दूरी तय करके तथा गंगा नदी पार करके कुर्सेला आते हैं। जिसमें इनका दिनभर बीत जाता है। सबसे बड़ी समस्या किसानों को होती है जिनके खेत गोबराही दियारा में पड़ते हैं वे किसान खेती के लिए ट्रैक्टर, खाद, बीज जैसे सारी सुविधा को नाव पर लादकर उस पार ले जा कर खेती करते हैं। हजारो की आबादी वाले इस दियारा क्षेत्र के लोग आज भी आधुनिकता से पीछे चल रहे है। इस गांव मेें न तो स्वास्थ्य केन्द्र है, जो विद्यालय है वह यहां नहीं सही से नहीं चलते, नदी पार अस्थायी रूप में चलते है,लोगों मतदान करने के लिए नावं से मजदिया जाना पड़ता है। यहां आजतक कोई सरकारी कर्मचारी नहीं जाना चाहता । जनवितरण प्रणाली को सामान लेने के लिए भी नदी पार जाना पड़ता है
यहां पर एक हजार वोटर तो है लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि इन के लिए आज तक सुधि लेने नहीं पहुंचे। मिट्टी तेल एवं राशन के लिए भी दियारा वासी को पांच कोश की दूरी करके गंगा पार खेरिया स्थित जन वितरण प्रणाली केंद्र आना पड़ता है। अपने गांव से निकलकर लोग पहले बालू में चलते है वह भी डेढ़ दो घंटे फिर नांव पकड़ते है। हालांकि वर्षों से लोग दियारा में रह रहे है। लेकिन आज तक सरकार ने इन लोगों के लिए एक भी मूलभूत सुविधाएं काम नहीं किये है। आज भी लोगों को छोटे मुझे सामान लाने के लिए भी 3 घंटे की दूरी तय करके कुर्सेला बाजार आना पड़ता है। दियारा में लोगों के सुरक्षा के लिए पुलिस केंद्र तो है लेकिन किसानों की जान एवं फसल की सुरक्षा नहीं हो पाती है वह स्कूल तो है। लेकिन बच्चों की पढ़ाई नहीं होती है 1000 वोटर तो है। यहां के लोगों को वोट देने के लिए नांव से मजदिया आना पड़ता है जहां उनका मतदान केन्द्र है। इसके बावजूद भी सारी घटनाएं को झेलते हुए लोग यहां पर जीवन यापन कर रहे हैं।