पति की दीर्घायु उम्र के लिए महिलाओं ने श्रद्धा अर्चना के साथ की वट पूजा

फलका से आरफीन बहार की रिपोर्ट

कटिहार:फलका प्रखंड क्षेत्र में विवाहित महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु उम्र के लिए श्रद्धा अर्चना के साथ की वट पूजा । सोमवार को विधि विधान के साथ महिलाओं ने पूजा अर्चना की पूजा करने के बाद अन्न जल ग्रहण किया तथा पति से आशीर्वाद लिया। पंडित बिरेन्द्र झा ने जानकारी देते हुए कहा कि वट पूजा करने से परिवार पर आने वाली अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं, घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस व्रत की पूजा में भीगे हुए चने अर्पण करने का बहुत महत्व है, क्योंकि यमराज ने चने के रूप में ही सत्यवान के प्राण सावित्री को दिए थे। सावित्री चने को लेकर सत्यवान के शव के पास आईं और सत्यवान के मुख में रख दिया, इससे सत्यवान पुनः जीवित हो गए


  व्रत का कथानक भविष्य पुराण के अनुसार, सावित्री राजा अश्वपति की कन्या थीं। सावित्री ने सत्यवान को पति रूप में स्वीकार किया। अपने अंधे सास-ससुर की सेवा करने के उपरांत सावित्री भी सत्यभान के साथ लकड़ियां लेने जंगल जाती थीं। एक दिन सत्यवान को लकड़ियां काटते समय चक्कर आ गया और वह पेड़ से उतरकर नीचे बैठ गए। उसी समय भैंसे पर सवार होकर यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए। सावित्री ने उन्हें पहचान लिया और कहा, 'आप मेरे पति के प्राण न लें।' यमराज नहीं माने और सत्यवान के प्राण को लेकर वह अपने लोक को चल पड़े। सावित्री भी उनके पीछे चल दीं। बहुत दूर जाकर यमराज ने सावित्री से कहा, 'पतिव्रते

अब तुम लौट जाओ, इस मार्ग में इतनी दूर कोई नहीं आ सकता।' सावित्री ने कहा, 'महाराज पति के साथ आते हुए न तो मुझे कोई ग्लानि हो रही है और न कोई श्रम हो रहा है, मैं सुखपूर्वक चल रही हूं। स्त्रियों का एकमात्र आश्रय-स्थान उनका पति ही है, अन्य कोई नहीं।' सावित्री के पति धर्म से प्रसन्न यमराज ने वरदान के रूप में अंधे सास-ससुर को आंखें दीं और सावित्री को पुत्र होने का आशीर्वाद देते हुए सत्यवान के प्राणों को लौटा दिया। इस प्रकार सावित्री ने अपने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया।

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