पूर्णिया/रौशन राही
नगर पंचायत मीरगंज अधीन खगहा गांव में दो दिवसीय संतमत सत्संग का भव्य आयोजन किया गया । जिसका भूमि पूजन महर्षि मेंहीं योगाश्रम मीरगंज के पूज्य अमल बाबा ने किया । सन्तमत सत्संग की तैयारी एक माह पूर्व से की गई थी जो 5 मई से 6 मई तक चला । सत्संग का श्रवण करने आसपास के चंदवा, चोचला, नाकी, दरमाही, मोहनाटोल, रंगपुरा, मिल्की, कजरा, सहारा, मजरा, भूरी, दमेली, चम्पावती, किशनटोली सहित दूरदराज से काफी संख्या में संत एवं सत्संगी लोग आए थे । आए हुए सत्संगप्रेमियो के लिए विशाल भंडारा का भी आयोजन किया गया था ।
सन्तमत सत्संग का मुख्य प्रवचन कर्ता बाबा शाही धाम दानापुर पटना से संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हृदय स्वरूप महर्षि शाही स्वामी जी के प्रिय सेवक स्वामी ओमानन्द जी महाराज के अलावा सन्तमत के प्रसिद्ध गायक स्वामी गुरुशरण सुमन बाबा, स्वामी रविन्द्र बाबा सहित दर्जनों साधु संत मौजूद थे । सन्तमत सतसंग के प्रसिद्ध गायक गुरुशरण सुमन बाबा गुरुमहाराज पर लिखे दजनों भजनों से आए हुए सन्तप्रेमी को मंत्रमुग्ध कर दिया भजनों के माध्यम से कहा कि जिसको जीवन मे मिला सत्संग है
उसको आनंद ही आनंद है वही भजन के दरम्यान प्रवचन में कहा जब विश्व सन्त सम्मेलन आयोजित किया गया था उसवक्त भारत से सन्तो में रामकृष्ण परमहंस जी को आमंत्रण भेजा गया था परन्तु रामकृष्ण परमहंस जी ने अपना प्रतिनिधत्व अपने प्रिय सेवक स्वामी विवेकानन्द को देकर भेजा अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित सन्त सभा में प्रवचन के लिए स्वामी विवेकानंद जी को अल्प समय दिया गया था परन्तु स्वामी विवेकानंद के प्रवचन से विश्वभर से पहुंचे सन्त ने उनका भरपूर सम्मान दिया एवं भारत को विश्व गुरु बताया परन्तु जब स्वामी विवेकानंद से विद्वता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपने गुरु को सर्वोपरि बताया , उन्होंने कहा हमने जो सीखा गुरु से सीखा, जो पाया गुरु से माया गुरु ही हमारे मार्गदर्शक है ।
मौके पर सत्संग श्रवण के लिए पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुख्य प्रवचन कर्ता स्वामी ओमानंद जी महाराज ने सत्संग पर प्रकाश डालते हुए कहा सत्संग सुनने व करने से जन्म मृत्यु का बंधन खत्म हो जाता मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति करता है । देवता भी इस भूलोक पर अपने गुरु के शरण मे आकर सत्संग के माध्यम से महान हुआ । राम, कृष्ण भी इस भूलोक में मानव रूप में गुरु के शिक्षा सत्संग ज्ञान से भगवान कहलाए । भगवान श्री कृष्ण ने अपनी वाणी के माध्यम से सभी यज्ञों में ज्ञान यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ बताया है ज्ञान यज्ञ अर्थात सत्संग के फल के बराबर कोई यज्ञ नहीं होता सत्संग से सभी विघ्न बाधाएं दूर होती है अर्थात मन को शांति मिलती है सत्संग से बुरे विचारों का नाश होता है लेकिन यह दुर्लभ सत्संग जब तक राम की कृपा नहीं हो तो जीव को नसीब नहीं होता है । गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु सुलभ न सोई सत्संग करने वालों को शरीर रहते 4 फलों की प्राप्ति होती है अर्थ धर्म काम और मोक्ष सत्संग दो प्रकार के होते हैं पहला बारी सत्संग कथा प्रसंग जो हम सुनते हैं उसको कहते हैं दूसरा है अंतरिक सत्संग यह ध्यान के माध्यम से होता है जब तक हम आंतरिक सत्संग नहीं करेंगे तब तक सभी कलेशो का अंत नहीं होगा परमात्मा के स्वरूप का दर्शन नहीं होगा और जब तक परमात्मा का दर्शन नहीं होगा और तबतक हम भले संसारपति हो जाएं लेकिन शांति नहीं मिल सकेगी ।
* ध्यान के लिए संतों की शरण में जाएं - स्वामी जी ने कहा कि ध्यान करने के लिए संतों की शरण में जाना चाहिए संतो से युक्ति सीखकर मानस जाप मानस ध्यान दृष्टि योग एवं सतयोग की क्रिया सीखकर जो अंतर की यात्रा करता है उसी को शांति मिलती है महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज ने कहा कि निज तन में खोज सज्जन बाहर ना खोजना अपने ही घट में हरी है अपने में खोजना अर्थात् परमात्मा सब जगह होते हुए हम आपके अंदर भी है इसलिए संतमत कहता है अंतर की यात्रा करो । व्यवस्थापक सन्त नागो दास ने अपने प्रवचन में कहा गुरु के शरण मे मोक्ष की प्राप्ति होती है गुरु आपको किसी भी रूप में मिल सकते हैं । आपके-माता पिता ही आपके पहले गुरु हैं यदि उनका आदर सत्कार आपने जीवन मे नहीं किया तो अन्य गुरु की कृपा आपके ऊपर नहीं हो सकती । गुरु की कृपा देखिए दो दिनों से पूर्णिया के सभी प्रखण्डों में बारिश हो रही परन्तु खगहा मीरगंज में बारिश ने अपना रुख मोर लिया है । सन्तमत सत्संग को सफल करने में स्वामी अमल बाबा, गुणानंद साह, सिताबी मंडल, नागेश्वर दास, अशोक शर्मा, सुगदेव शर्मा, जगदीश साह, विकास कुमार यादव, प्रकाश मालाकार, छोटू मालाकार, अर्जुन दास, बिनोद कुमार राय, मंगल सिंह, उपेन्द्र यादव, दिनेश यादव, अयोधी यादव, दुखन साह, विलास साह समेत दर्जनों सत्संगी गणों का सराहनीय प्रयास रहा।