उठो रे जागो रे ।जागो रे उठो रे। हिंद का झंडा कांप रहा है उठो देश के वीरो

 


पूर्णिया/शशिकांत

उठो रे जागो रे ।जागो रे उठो रे। हिंद का झंडा कांप रहा है उठो देश के वीरो घर से बाहर निकलो हाथ में लो समशीरो। इस तरह के युक्तियां से वीर जवान की बातें हो रही है ।मैं आज उस वीर की बातें कर रहा हूं जो जगदीशपुर में अंग्रेज के गोली लगने पर अपने हाथ के कलाई को काटकर नदी में बहा दी और अपनी सेना के साथ जंगलों की ओर चले गए।


इसके बाद 23 अप्रैल 1858 को अंग्रेजी सेना को पराजित करने के बाद अपने गांव जगदीशपुर पहुंचे जहां वह शहीद हो गए। बिहार के आरा के जगदीशपुर के वीर जवान बाबू वीर कुंवर सिंह की बातें कर रहा हूं ।वो वीर कुंवर सिंह जो स्वाधीनता के नायक अंग्रेजों को मात देने के लिए अपना हाथ काट लिया ,जो 27 अप्रैल 1857 को आजादी के प्रथम जंग में कूद पड़े थे। 27 अप्रैल 857 को दानापुर के सिपाहियों जवान और अन्य साथियों के साथ मिलकर आरा नगर पर कब्जा कर लिया।

आज  आरा को विजय आरा के नाम से भी जाना जाता है ।आरा के कैदियों  को बाबू वीर कुंवर सिंह ने जेल से रिहा करवाया जो  आंदोलनकारी थे। 1857 का गदर वह गदर था जिससे पूरे भारत देश के कोने-कोने से आजादी की चिंगारी भड़क उठी थी। हालांकि यह आग सैनिक मंगल पांडे के द्वारा शुरू की गयी थी ,पर पूरे भारत देश के जमींदार ,राजा ,कृषक वर्ग व साधारण लोग इसमें शामिल होने लगे थे । बाबू वीर कुंवर सिंह का जन्म 1777 इसलिए में जगदीशपुर के बड़े जमींदार तेज कुंवर सिंह के घर हुआ था ।समय बीतता गया 1947 में हम आजाद हुए।

हम आज आजाद भारत के लोग कहलाते हैं सभी लोग वीर जवानों को याद भी करते हैं बाबू वीर कुंवर सिंह को याद कम करते हैं पर भूलते अधिक है। ऐसे में इस बार बिहार व भारत सरकार द्वारा अभियान चलाया गया कि चलो जगदीशपुर चलें ,शहीद वीर कुंवर सिंह को याद करें। आजादी के 75 में अमृत महोत्सव पर आज बिहार के भाजपा व अन्य दलों के द्वारा आरा के जगदीशपुर पहुंचकर बाबू वीर कुंवर सिंह को याद किया जा रहा है पूर्णिया सदर विधायक भी भाजपा के दलों को जगदीशपुर भेजकर बाबू वीर कुंवर सिंह को हेतु लोगों को भेजा है।

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