श्रद्धा-भक्ति के साथ किया गया श्री अनन्त चतुर्दशी पूजनोत्सव

 


हाजीपुर से  संजय विजित्वर की रिपोर्ट

हाजीपुर  : श्री अनन्त चतुर्दशी पूजनोत्सव हाजीपुर सहित वैशाली जिले में श्रद्धा-भक्ति पूर्वक संपन्न हुआ। परंपरा के अनुसार समस्त पापों तथा विपत्तियों के नाश करनेवाला श्री अनन्त चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। सदियों से विशेष महत्व वाला श्री अनन्त चतुर्दशी पूजनोत्सव पर श्री विष्णु देव की पूजा की जाती है। श्रद्धालु नहा-धोकर किसी मंदिर अथवा घर में श्री अनन्त की पूजा-अर्चना करते हैं। स्थानीय रेलवे जंक्शन परिसर स्थित शिव मंदिर में प्रातः काल से ही श्रद्धालुओं की काफी संख्या देखी गई ।बच्चे,युवा, वयस्क,बालिकाएं,महिलाएं अपने-अपने थाली में खीरा,केला,सेव,अनन्त(धागा)लेकर मंदिर पर पहुंचे 


इस दिवस पर प्रसाद सामग्री के रूप में खीरा,केला,सेव अर्थात् ऋतुफल और अनन्त (चौदह गांठें वाला धागा)का विशेष महत्व होता है। पंडित जी श्री अनन्त चतुर्दशी व्रत कथा के महात्म्य का श्रवण कराते हैं। इसके पश्चात कांसा के वर्तन में दूध,दही,घी,मधु,शक्कर से बने पंचामृत में अनन्त धागे को ऋतुफल खीरा में लपेटकर यजमान के द्वारा तीन या पांच बार घुमाया जाता है।इस क्रम में पंडित यजमान से पूछते हैं कि क्या मथते हैं ? यजमान बोलते हैं क्षीर समंदर । पंडित जी पूछते हैं कि श्री अनन्त भगवान मिले ? यजमान के द्वारा उत्तर दिया जाता है -'नहीं'। पुनः पंडित जी के द्वारा यही प्रश्न और यजमान के द्वारा यही उत्तर दिया जाता है।तीसरी बार या पांचवीं बार पंडित के इस प्रश्न का उत्तर यजमान 'हां' में देते हैं और तब पंडित यजमान से कहते हैं 

उनको माथे चढाइए।इसके बाद पंडित के द्वारा यजमान को चौदह गांठें युक्त रंग -बिरंगे अनन्त धागे को दाहिने बांह पर मंत्रोचारण करके बांधते हैं।कन्या या महिलाएं बायें हाथ में अनन्त (धागा) बांधती हैं।श्री अनन्त चतुर्दशी के दिवस पर प्रायः हिन्दूओं के घर में पूरी,सेवई, हलवा आदि मिष्ठान भोजन बनते हैं। इस दिवस पर व्रतधारी दिनभर उपवास रखकर सायंकाल में फलाहार करने के पूर्व न्योज काढ़ते हैं और तब ही खाते हैं और घर की महिलाएं पंडित को सीधा(अनाज) दान करती हैं।श्री अनन्त कथा महात्म्य में यह बताया जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करेगा, कथा का ध्यान पूर्वक श्रवण करेगा और प्रसाद ग्रहण करेगा तो उसके सभी प्रकार के कष्ट, विपत्तियां स्वतः नाश हो जाएंगी तथा वह व्यक्ति सुखीपूरक जीवन व्यतीत कर सकेगा अर्थात् उसकी हर मनोकामना श्री अनन्त भगवान अर्थात् श्रीविष्णु देव पूर्ण करते हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post