अमौर/सनोज
पूर्णियाँ: आजादी के सात दशक से अधिक की अवधि गुजर गये । कितनी सरकार आई और गई, कितने विधायक,सांसद और मंत्री बने,इसके बावजूद जहां अमौर की तस्वीर आज भी सर्वाधिक पिछड़ा नजर आता है । इस प्रखंड में गरीबी, एवं बेरोजगारी की समस्यायें जहां मुंह बाये खड़ी है वहीं दूसरी ओर शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं से क्षेत्र की जनता वंचित है। बाढ़ व नदी कटाव इस प्रखंड की प्रमुख समस्यायें हैं जो हर वर्ष क्षेत्र के सभी जनसमुदाओं के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है । इस प्रखंड को नेपाल की तराई से निकलने वाली परमान, बकरा, कनकई, महानंदा जैसी भयावह नदियों की उफनती जलधारा मुख्य रूप से बाढ़ से प्रभावित करती है। बाढ़ से आर्थिक क्षति होती है । इसके बावजूद राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा इस गम्भीर समस्या का अभी तक कोई ठोस जनोपयोगी हल नहीं निकाला जा सका है
ग्राम विकास इन शब्दों को यहा के लोग दशकों सॆ सुनते आ रहे हैं जबकि इस प्रखंड के अधिकांश गांव अविकसित का चित्र पेश करते हैं । यहां के ग्रामीॅण क्षेत्रों नें सभी मौसम में चलने योग्य सड़के नहीं हैं। जगह जगह बड़े बड़े गड्डौं व तलाबों में तब्दील यहां की ग्रमीण सड़कें जिस पर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बनाई गई बांस बत्ती की चचरी पुलिया, विगत दस साल से लम्बित खाड़ी व रसेली घाट का पुल निर्माण राज्य सरकार की विकास उपलब्धियों का नमूना पेश करते हैं । वहीं दूसरी और मुख्य मांगों में से केमा से रहरिया जाने वाली सड़क मार्ग अब तक कच्ची है
जबकि दोनों और सड़क और पुल का निर्माण लगभग हो चुका है लगभग एक किलोमीटर सड़क का निर्माण न होने से बरसात के दिनों में व्यापक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, ग्राम विकास से सम्बंधित जितनी भी योजनायें क्षेत्र में चलाई गई है उससे यहां गांवों की मौलिक दशाओं में कोई परिवर्तन नहीं हो पाया है । क्षेत्र में अनियमित बिजली आपूर्ति, अस्पतालों का खास्ताहाल एवं दवाइयों का सर्वथा आभाव यहां के गरीब रोगियों की बेबसी का मजाक उड़ाने के लिए काफी है । निरक्षरता एवं आर्थिक विपण्त्ता इस प्रखंड के पिछड़ेपन का मुख्य कारण है ।