वनरक्षक सोयी हुई है कुंभकर्णी नींद में,इधर धड़ल्ले से काटी जा रही है हरे वृक्ष, नहीं ली जा रही है सुधि



कोढ़ा/शंभु कुमार 


एक तरफ सरकार जनजीवन हरियाली को लेकर पर्यावरण के द्वारा वातावरण को शुद्ध करने हेतु हरे वृक्ष लगाने की मुहिम छेड़ रखी है। विभिन्न नहरो सड़क किनारे ल मेढ़ो  पर बहुते तादाद में हरे वृक्ष की रोपाई की गई है। इसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हो इसके लिए वृक्ष की सरकार के द्वारा घेराबंदी भी की गई है।इसके बावजूद भी वहीं दूसरी ओर कोढा प्रखंड के विभिन्न नहरों सड़क के  किनारों व मेढ़ो पर लगे बड़े-बड़े विशालकाय पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से की जा रही है ।लकड़ी तस्करों के अंदर मानो ऐसा लगता है कानून का कोई भय ही नहीं है बेखौफ होकर उनके द्वारा अवैध तरीके से लकड़ी की कटाई रात के अंधेरे में जारी है ।


वहीं पर्यावरण को बचाने हेतु सरकार के द्वारा विभिन्न नाट्य कला प्रस्तुत कर वृक्ष लगाने हेतु विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम के द्वारा आम जनों को जागरूक भी किया जा रहा है। यह स्थिति कोढा क्षेत्रों में जादे ज्यादातर देखने को मिल रहा है हरे पेड़ों की कटाई करने में लकड़ी व्यवसाई वन विभाग की अधिकतर मिलीभगत होती है चंद पैसे की खातिर लकड़ी व्यवसाई के द्वारा वन विभाग के अधिकारी को कुछ कमिशन देकर ऐसी हरकत धड़ल्ले से की जा रही है। जोकि प्रखंड के ज्यादातर ऐसे ही लगे विशालकाय वृक्ष ज्यादातर नहरो व सड़कों के किनारे  वृक्ष की संख्या ज्यादा है ।उसकी नजर ज्यादातर उन्हीं स्थानों पर टीकी रहती है तब जाकर योजना बनाकर लकड़ी की कटाई करते है। उन अधिकारियों और लकड़ी व्यवसायियों को लगता है कि उन्हें शुद्ध हवा और पर्यावरण की जरूरत ही नहीं है। वहीं विगत दिनों में महेशपुर से खरिया जाने वाली नहर पर हरे पेड़ों की कटाई वन विभाग की मिलीभगत से गांव के लोगों के द्वारा ही कर ली गई। ग्रामीणों ने उसकी सूचना वन विभाग के अधिकारी को दिया लेकिन उनके द्वारा कोई सुधि नहीं ली गई। जिससे वहां के ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। समाज के बुद्धिजीवी वर्गों का कहना है कि पर्यावरण के हो रहे  नुकसान की भरपाई करने के लिए जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की गई है। लेकिन उनके द्वारा अवैध पेड़ो की कटाई धड़ल्ले से कर ली जा रही है। बुद्धिजीवी वर्ग पर्यावरण को प्रदूषित होने का उन पर आरोप लगा रहे हैं गांव से लेकर खेतों की मेढ़ो पर पौधारोपण किए गए हैं सभी विभागों को हरे पेड़ लगाने के लिए निर्देशित किया गया है। पेड़ों की हिफाजत की जा सके लेकिन सरकार के द्वारा बनाई गई कानून सही तरीके पर धरातल पर उतरती नजर नहीं आ रही है लगता है इन पेड़ों की रक्षा करने वाले संबंधित अधिकारी कर्तव्यविहीन  के साथ अपनी कानों पर घी के पलीता घुसेरे सोये है। साथ लोगों ने अभिलंब वन विभाग व संबंधित अधिकारी से हरे पेड़ों की रक्षा कर कटाई करने वाले लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि शुद्ध पर्यावरण के द्वारा हम लोगों को  लोगों को जीने के लिए शुद्ध हवा वृक्षों के द्वारा मिल पाए।

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