रंगपूरा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन जर्जर दुर्घटना की आशंका

पूर्णिया/ सोनू कुमार झा 

मीरगंज: सरकार स्वास्थ्य विभाग को चुस्त दुरूस्त रखने की बड़ी-बड़ी बातें करती है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। धमदाहा प्रखंड अंतर्गत मीरगंज क्षेत्र के सुदूर देहाती क्षेत्रों में इन दिनों स्वास्थ्य सेवा बदहाल है।आज भी कई सरकारी स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रंगपूरा का हाल भी कुछ ऐसा ही है। कहने को तो यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन, यहां समुचित सुविधाएं नदारद है


 मीरग॔ज के रंगपूरा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन जर्जर होकर खुद बीमार हो चुका है। स्वास्थ्य केंद्र परिसर स्थित कार्यालय, र्डॉक्टर ड्यूटी रूम, टीकाकरण कक्ष, दवा भंडार गृह, सहित अन्य भवन जर्जर हो गए हैं। उसी जर्जर भवन में सारे कार्य निपटाए जा रहे हैं। यहां तक की जर्जर भवन के छत से सीमेंट गिट्टी बराबर टूट-टूट कर गिर रही हैं।कई बार कर्मीयो के उपर छत का प्लास्टर गिरा, बावजूद  स्वास्थ्य कर्मी कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं। कार्यरत सभी हमेशा अप्रिय घटना घटित होने के भय से सशंकित रहते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मरीज खासा परेशान हैं। सुविधाओं का घोर अभाव है। ग्रामीण नें बताया कि रंगपुरा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में  रात्रि में प्रसव होने वाली महिलाओं को झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़कर आर्थिक शोषण होने के साथ-साथ असमय काल कलवित्त होने को विवश हो जाते हैं। जबकि रंगपुरा स्वास्थ्य केंद्र में सारी सुविधाएं उपलब्ध है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन के लिए जीर्णोद्धार के लिए जनप्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाई है


अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र रंगपूरा में कार्यरत  चिकित्सक डॉक्टर एस पी सिंह बताया कि भवन कई साल से जर्जर है। क्षतिग्रस्त छत के नीचे ही वे मरीजों का इलाज करते हैं। सभी कमरे पुराने एवं काफी जर्जर हो चुके हैं। इन्हें ध्वस्त करने भवन बनाने की सख्त जरूरत है। इस कार्य के लिए  वरीय अधिकारी को अवगत कराया जा रहा है।उन्होंने बताया कि केन्द्रों पर रोगी अवश्य आते हैं किंतु सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण गंभीर रोगियों को लाभ नहीं मिल पाता है। स्वास्थ्य केन्द्र में मात्र एक एनएम कार्यरत हैं। स्वास्थ्य कर्मियो की कमी  संसाधनों की कमी के कारण कठिनाईयों का सामना करना पडता है। जो भी साधन संसाधन उपलब्ध है उससे मरीजों की सेवा की जा रही है।

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