पूर्णिया/डिम्पल सिंह
स्थानीय सुमरित उच्च विद्यालय में बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाई गई। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत विद्यालय प्रधान रोहित कुमार यादव एवं वरीय शिक्षक डॉ तरुण सिंह ने दीप प्रज्वलित कर की। तत्पश्चात विद्यालय प्रधान एवं अन्य शिक्षकों ने वीर कुंवर सिंह के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम में अपने संबोधन में शिक्षक डॉ तरुण सिंह ने कहा की 1857 का सिपाही विद्रोह जिसका नेतृत्व बिहार में बाबू वीर कुंवर सिंह ने किया अंग्रेजों के विरुद्ध भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था। इस आंदोलन ने भारतीयों में आत्मविश्वास भर दिया कि हम एक न एक दिन अवश्य आजाद होंगे।
उन्होंने कहा हमें अपने प्रत्येक कार्य का आकलन समाज के प्रति उसके नकारात्मक या सकारात्मक प्रभाव के आधार पर करना चाहिए और राष्ट्र- हित, समाज-हित को सर्वोपरि रखना चाहिए। शिक्षक राजेश पासवान ने सिपाही विद्रोह तथा अन्य स्वतंत्रता आंदोलनों के ऐतिहासिक पक्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला।
सभा को विद्यालय प्रधान रोहित कुमार यादव, तरणेंदु पाठक आदि ने भी संबोधित किया और बाबू वीर कुंवर सिंह के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। तरणेंदु पाठक ने कहा बाबू वीर कुंवर सिंह ने यह सिद्ध कर दिया कि किसी व्यक्ति में वीरता और नेतृत्व क्षमता अगर हो तो उम्र आड़े नहीं आती जिस प्रकार इस महान विभूति ने 80 की उम्र में अंग्रेजों के दांत खट्टे किए यह बिहार के लिए नहीं पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। कार्यक्रम में मंच संचालन धर्मेंद्र कुमार ने किया।
कार्यक्रम की सफलता में विद्यालय के शिक्षक कुशेश्वर चौधरी, अरुण कुमार, मुकेश कुमार गुप्ता, शादीक अहसन, मुरारी कुमार दास, अमरेंद्र प्रसाद अनिल कुमार मंडल, दिलीप कुमार सिंह, हेमंत कुमार ठाकुर, परिचारी शंकर कुमार झा आदि ने भरपूर सहयोग दिया।