एके 47 के तरह इस्तेमाल होता कृषि विभाग का कोई जाँच आदेश पत्र




 पूर्णियाँ: अगर कोई आपको एके 47 दिखाकर आपसे आपसे आपका सारा पैसा मांगेंगे तो आप फ़ौरन डर से उसे सब कुछ दे देंगे। ठीक उसी तरह कृषि विभाग भी अपने कार्यालय से एके 47 की तरह तरह तहत के जाँच आदेश निकालते है। जो सिर्फ दुकानदारों को डराने के काम आती है। आजतक कोई भी जाँच का आदेश  पूरा नहीं हुआ न ही किसी पर कार्यवाई हुई।


कॄषि विभाग के संयुक्त निदेशक, पूर्णियाँ प्रक्षेत्र जब रुपौली स्थिति संजय एग्रो कंपनी नामक खाद बीज के दुकान के जाँच हेतु गए थे। वहाँ न सिर्फ उनके साथ बदसलुकी हुई बल्कि जाँच तक नहीं करने दिया गया। जिसके बाद दिनांक 28 जून को अपने कार्यालय के ज्ञापन 414 से आदेश निर्गत कर एक छापेमारी दल का गठन किया गया, जिसमें सहायक निदेशक पौधा संरक्षण एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी रुपौली को शामिल किया गया। छापेमारी दल को अविलंब छापेमारी कर संजय एग्रो कंपनी का लाइसेंस, विपणन प्राधिकार पत्र, भंडार पंजी, बिक्रय पंजी, नमूना संग्रह एवं दुकान के क्रियाकलापों की जाँच कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया। मगर 24 घंटे के बाद दोनों अधिकारी को व्हाट्सएप के माध्यम से जेडीए कार्यालय का पत्र प्राप्त हुआ। 

24 घंटे का दिया गया दुकानदार को मोहलत

संयुक्त निदेशक के साथ बदसलूकी और जाँच में बाधा की खबर रुपौली के साथ साथ जिले तक फैल गई। साथ संजय एग्रो कंपनी पर छापेमारी के आदेश का पत्र भी वायरल हो कर मीडिया तक पहुँच गया। मीडिया ने जब प्रखंड कृषि पदाधिकारी रुपौली से पत्र के बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने ऐसे किसी भी आदेश के प्राप्त होने से इनकार किया। वही पत्र के मुताबिक 24 घंटे में जाँच रिपोर्ट जब देने की बारी आई तो उस वक़्त उन्होंने  व्हाट्सएप्प से पत्र प्राप्त होने की बात कबूली। अब सवाल यह उठता है कि छापेमारी का आदेश निकालकर क्यों आरोपी दुकानदार को 24 घंटे की मोहलत दी गई? जिन अधिकारी को छापेमारी करना था उन्हें पता भी नहीं था कि उन्हें छापेमारी करना है? कृषि विभाग में ऐसा आदेश पहली बार नहीं निकला है। इससे पहले भी कई जाँच के आदेश निकले है, मगर उस जाँच में आरोपी दुकानदार पर क्या कार्यवाई हुई यह आजतक किसी को पता नहीं।   


बदसलुकी के बाद संयुक्त निदेशक ने अपने पत्र में लिखा था जब वे उर्बरक, बीज कीटनाशी के कालाबाजारी एवं जमाखोरी के अनियमितता के प्रभावी नियंत्रण के उद्देश्य से जब संजय एग्रो कंपनी गए तो दुकान के मालिक द्वारा जाँच में रुकावट पैदा करते हुए सरकार के आदेश का उलघंन किया गया। संयुक्त निदेशक ने दोनों अधिकारी को दुकान पर विधि सम्मत कार्यवाई के आदेश दिये थे। अब सवाल यह उठता है कि अगर दुकान में सब सही था तो जाँच से क्यों रोका गया?

आज तक नहीं हुई छापेमारी

इतनी बड़ी घटना घट जाने के बाद भी आज 22 दिन गुजर जाने के बाबजूद भी उक्त दुकान पर कार्यवाई तो दूर, किसी भी प्रकार की छापेमारी तक नहीं की गई। 


मालूम हो कि कृषि विभाग में वर्षो से जाँच के आदेश के पत्र निकलते रहे है मगर आजतक सभी जाँच भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। कइयों में तो ऐसा देखा गया है कि अंदर ही अंदर सभी जाँच रिपोर्ट सही करके दे दिया जाता है। संजय एग्रो में भी इस तरह का रिपोर्ट आ जाये तो कोई हैरानी नही होनी चाहिए। संजय एग्रो कंपनी के ऊपर भी जब सिर्फ पत्र निकालकर  वायरल किया गया, उसी वक़्त लोगो के समझ मे आ गया कि इस पत्र को सिर्फ एके 47 की तरह डराने के लिए इस्तेमाल किया गया है। वैसे रुपौली में  दुकानदार और अधिकारियों के बीच मेलमिलाप कराने वाले कोई शशि बाबू  नाम के ब्यक्ति की चर्चा है। मगर यह शशि बाबू है कौन इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है।

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