फलका से आरफीन बहार की रिपोर्ट
कटिहार:रोजा इस्लाम का तीसरा अहम रुकन है। कुराने पाक में आता है तुम में से जो इस महीने को पाए वह इसके रोजे रखें। माहे रमजान को तमाम महीनों पर फजीलत हासिल है क्योंकि माहे रमजान बरकतों और रहमतों वाला महीना है। माहे रमजान में ही कुराने पाक का नुजूल हुआ था। माहे रमजान के आमद के साथ ही अल्लाह के तरफ से रहमत और बरकत का नुजूल होता है।रमजान की फजीलत पर रौशनी डालते हुए मुफ्ती रिजवान ने बताया कि माहे रमजान के रोजे तमाम मुसलमानों पर फर्ज है जैसे कि पिछले तमाम उम्मती पर फर्ज था। माहे रमजान में उम्मते मोहम्मदी को पांच चीजें खास तौर पर दी गई है, जो पिछले उम्मती को नहीं दी गई थी
नंबर एक रोजेदार की मुंह की बदबू जो रोजे की हालत मे भुख की वजह से आती है वो अल्लाह को मुश्क से भी ज्यादा पसंद है। नंबर दो रोजेदार के लिए दरियाओं की मछलियां तक दुआ करती है। नंबर तीन रोजेदार के लिए रोजाना जन्नत को सजाया जाता है। नंबर चार रमजान में शैतान को कैद कर दिया जाता है। नंबर पांच रमजान के आखिरी रात में रोजेदारों की मगफिरत कर दी जाती है।उन्होंने आगे कहा कि माहे रमजान वह महीना है जो इंसान को यह एहसास दिलाता है की एक गरीब जब उनके पास खाने पीने को कुछ नहीं होता है, तो वह कैसे भूखा प्यासा रहता है
तब हमें खुदा का वह हुक्म याद आता है कि तुम जमीन वालों पर रहम करो हम तुम पर रहम करेंगे।माहे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है पहला अशरा रहमत का दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नम के आग से आजादी का है।माहे रमजान में रोजेदार पांच वक्त की नमाज अकीदत के साथ अदा इबादत करते हैं।रात में विशेष नमाज नमाज ए तरावीह भी पढ़ते हैं।माहे रमजान में एक फर्ज नमाज पढ़ने से सत्तर फर्ज नमाज पढ़ने के बराबर सवाब मिलता है।इस महीने में नफल अदा करने से फर्ज अदा करने के बराबर सवाब मिलता है।